क़ुरआन में भी जिहाद या इसके मूल धातु से उत्पन्न शब्द उसी अर्थ में आए हैं, जिस अर्थ में वह अरबी डिक्शनरी में इस्तेमाल होते हैं यानी किसी उद्देश्य के लिए भरपूर और अधिकतम प्रयास करना। `जिहाद' शब्द का क़ुरआन में चार बार प्रयोग हुआ है और हर स्थान पर यह शब्द प्रयास और संघर्ष के अर्थ में है, न कि सीधे तौर पर लड़ाई और जंग के अर्थ में।