ईश्वर मौन भाषा में बोल रहा है और हम इसको शोर की भाषा में सुनना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में भला कैसे संभव है कि हम ईश्वर की आवाज को सुन सके? इस संसार की सबसे मूल्यवान बातें वह हैं, जो मौन भाषा में प्रसारित हो रही हैं, लेकिन जो लोग शोरगुल की भाषा सुनना जानते हों, वे इन मूल्यवान बातों से उसी तरह अनजान रहते हैं, जिस तरह एक बहरा आदमी संगीत से।