तज़्किये (self-purification) का हर वक्तव्य और हर लेख एक और विस्तार चाहता है और यह विस्तार केवल वह इंसान कर सकता है, जो तज़्किये का इच्छुक हो।
तज़्किये की प्राप्ति के लिए आवश्यक है कि तज़्किये का इच्छुक इस मामले में बहुत ज़्यादा गंभीर हो। वह एक तत्पर मन-मस्तिष्क (prepared mind) की हैसियत रखता हो। उसके अंदर पूरी तत्परता पाई जाती हो। वह हर तरह के पक्षपात (prejudice) से बचा हुआ हो, वह जटिलताओं से स्वतंत्र (complex free) इंसान हो, वह चीज़ों को उसी तरह देखने की योग्यता रखता
हो, जैसा कि वह वास्तव में हैं। वह व्यक्तिगत पक्षपात (bias) को अलग करके चीज़ों को देख सके। वह अपने खिलाफ बातों को भी उसी तरह सुने, जिस तरह वह अपने अनुकूल बातों को सुनता है। वह किसी शर्त के बिना सत्य को स्वीकार करने के लिए तैयार हो। वह खुले रूप से अपनी गलतियों को मानने का स्वभाव रखता हो। वह सही दृष्टिकोण (right angle) के साथ चीज़ों को देख सके इत्यादि।
तज़्किये की प्रक्रिया में दो व्यक्ति शामिल होते हैं— तज़्किये का शिक्षक और तज़्किये का इच्छुक। दोनों में से किसी की भूमिका भी शत-प्रतिशत नहीं, इस मामले में दोनों की भूमिका आधी-आधी है। तज़्किये के प्रशिक्षक की भूमिका यह है कि वह तज़्किये को वास्तविक रूप से जानता हो। उसने कुरआन और हदीस के गहन अध्ययन के द्वारा तज़्किये को सही रूप से समझा हो और फिर वह उसको उसकी विशुद्ध शैली में वर्णन कर सके। इस मामले में दूसरी आधी भूमिका तज़्किये के इच्छुक की है। तज़्किये के इच्छुक के अंदर यह योग्यता होनी चाहिए कि वह पूर्ण रूप से स्वीकार करने की क्षमता रखता हो। वह अपने वातावरण से प्रभावित मानसिकता से बाहर आकर तज़्किये की बातों को सुने और समझे। वह पहले से बनी हुई कसौटी से स्वतंत्र हो। वह यह योग्यता रखता हो कि बातचीत के आधार पर अपनी राय बनाए, न कि बोलने वाले के आधार पर। जिस व्यक्ति के अंदर ये गुण हों, वही वह इंसान है, जो तज़्किये के उद्देश्य को प्राप्त करने में सफल होता है।