कुछ लोगों में असाधारण स्वाभाविक गुण होते हैं, जिसके कारण वे सभी स्थितियों के स्वामी बनने में सक्षम होते हैं। ऐसे व्यक्ति जब किसी सभा में आते हैं, तो वे अपनी मौजूदगी से ही लोगों के दिल और दिमाग जीत सकते हैं। ऐसे लोगों के बारे में एक कहावत है, ’वे आए, उन्होंने देखा और जीत हासिल की’।
जीतने की इस तरह की क्षमता केवल असाधारण लोगों का एकाधिकार नहीं है, बल्कि कोई भी साधारण व्यक्ति लोगों के दिल और दिमाग को जीत सकता है, बशर्ते वह प्रकृति के नियम को जानता हो और आध्यात्मिक शक्ति द्वारा इसका लाभ उठाने में सक्षम हो। ईश्वर की सृष्टि-निर्माण योजना के अनुसार, सभी मनुष्यों, पुरुषों और महिलाओं, दोनों में अहंकार और विवेक नामक दो बिल्कुल अलग गुण होते हैं। अहंकार घमंड का प्रतीक है, जबकि विवेक विनम्रता का प्रतीक है।
यदि दो व्यक्तियों मिस्टर ‘ए’ और मिस्टर ‘बी’ के बीच कोई विवाद होता है तथा मिस्टर ‘ए’ गर्म हो जाता है और वह मिस्टर ‘बी’ को उचित आदर व सम्मान देने से इनकार करता है, तो इस तरह का व्यवहार मिस्टर ‘बी’ को उकसाने के लिए बाध्य हो जाता है और ऐसी स्थिति में वह मिस्टर ‘ए’ को सबक सिखाने की कोशिश करेगा। यही वह स्थिति है, जिसका एक मनोवैज्ञानिक ने इस प्रकार विश्लेषण किया है “जब किसी के अहंकार को छुआ जाता है, तो यह परम अहंकार में बदल जाता है, जिसका परिणाम यह होता है कि इससे बड़ी खराबी पैदा हो जाती है।”
इस मामले में मिस्टर ‘ए’ ने मिस्टर ‘बी’ को चुनौती दी और मिस्टर ‘बी’ ‘मिस्टर ईगो’ या ‘मिस्टर घमंडी’ में बदल गया। इस तरह का व्यवहार निश्चित रूप से मिस्टर ‘ए’ के खिलाफ जाएगा और इसका परिणाम यह होगा कि मिस्टर ‘ए’ को मिस्टर ‘बी’ पर बढ़त हासिल नहीं हो पाएगी।
अब हम विपरीत मामले को लेते हैं। मान लीजिए कि मिस्टर ‘ए’ और मिस्टर ‘बी’ के बीच कोई विवाद है, जिसके दौरान मिस्टर ए’ विनम्रता और एकतरफा तौर पर समझौता करते हुए मिस्टर ‘बी’ को उकसाने से बचता है। मिस्टर ‘ए’ की ओर से इस तरह का व्यवहार मिस्टर ‘बी’ के विवेक को ज़रूर छुएगा। इससे वह अपना आत्मनिरीक्षण करने के लिए मजबूर होगा और फिर वह पूरे मामले पर पुनर्विचार करेगा। अंततः वह अपने इस व्यहवार पर पश्चाताप करेगा, जिससे मनमुटाव पैदा होने की संभावना थी। जहां पहले उसने मिस्टर ‘ए’ को मिस्टर प्रतिद्वंद्वी माना था, अब वह मिस्टर ‘ए’ को अपने दोस्त के रूप में पाएगा।
मिस्टर ‘ए’ द्वारा किए जाने वाले इस तरह के व्यवहार से पूरा परिदृश्य बदल जाएगा, यानि इसके बाद एक अलग स्थिति का उभरना तय है। इससे यह साबित होगा कि जब किसी के विवेक को छुआ जाता है, तो यह उच्च विवेक में बदल जाता है और फिर परिणाम पूर्ण समर्पण के रूप में सामने आता है। यह दूसरा फॉर्मूला हर इंसान की पहुंच में है और इसे बड़ी आसानी से उपयोग में लाया जा सकता है, फिर चाहे वह कितना भी मूर्ख हो या कितना ही साधारण। जब आप विवेक के फॉर्मूले का उपयोग करते हैं, तो आप अपने प्रतिद्वंद्वी को खुद उसके खिलाफ बदल रहे होते हैं और यह एक तथ्य है कि कोई भी व्यक्ति दूसरों के खिलाफ लड़ सकता है, लेकिन किसी के पास यह शक्ति नहीं होती कि वह अपने खिलाफ लड़ने के लिए तैयार हो। इसमें एक मामूली व्यक्ति तक की जीत की क्षमता निहित होती है।
कोई भी यह कह सकता है कि दूसरा फॉर्मूला एक जोखिम भरा फॉर्मूला है। पूरी संभावना है कि इस तरह का व्यवहार दूसरे व्यक्ति को अधिक अभिमानी बना देगा। वह अधिक आक्रामक प्रतिक्रिया देगा। वह पहले से ज्यादा खतरनाक होगा, लेकिन यह दृष्टिकोण पूरी तरह से निराधार है, क्योंकि यह प्रकृति की शक्ति या अधिक सटीक रूप से आध्यात्मिकता की शक्ति की अज्ञानता के कारण होता है। प्रकृति के अनुसार, यदि आप किसी के अहंकार को चुनौती देते हैं, तो आपका सफल होना संदिग्ध है, लेकिन जब आप किसी के विवेक को चुनौती देते हैं, तो आपका सफल होना तय है। आम तौर पर लोग लड़ने की शक्ति जानते हैं, लेकिन एक बुद्धिमान व्यक्ति यही कहेगा कि विवेक की शक्ति अहंकार की शक्ति से अधिक बड़ी होती है।
विवाद के समय, यदि आप लड़ना चुनते हैं, तो आपको हथियारों की आवश्यकता होगी, लेकिन जब आप आध्यात्मिक विधि को चुनते हैं, तो आपको किसी हथियार की आवश्यकता नहीं होती है। सकारात्मक व्यवहार की शक्ति नकारात्मकता की शक्ति पर विजय प्राप्त कर सकती है, जबकि नकारात्मकता की शक्ति केवल विनाश का कारण बनने के अलावा किसी भी चीज़ पर जीत हासिल नहीं हो सकती है।
यह लेख मौलाना वहीदुद्दीन खान की अंग्रेजी में लिखी गई पुस्तक “लीडिंग अ स्प्रिचुअल लाइफ” से ली गई है।